Teachers’ Day Special|बच्चों को पैसे की सही शिक्षा देना

बच्चों को पैसे की सही शिक्षा देना (Teachers’ Day Special)

प्रस्तावना

भारत में शिक्षक दिवस (Teachers’ Day) केवल स्कूल या कॉलेज तक सीमित नहीं है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि असली शिक्षा की नींव घर से शुरू होती है। घर ही पहला स्कूल है और माता-पिता ही पहले शिक्षक।

हम बच्चों को विज्ञान, गणित और भाषा तो पढ़ा देते हैं, लेकिन जीवन का एक बड़ा सबक अक्सर छूट जाता है — और वह है पैसों की सही समझ।

पैसा सिर्फ़ नोट और सिक्के भर नहीं है, यह जीवन जीने की कला, स्वतंत्रता, और भविष्य की सुरक्षा का प्रतीक है। अगर बच्चों को छोटी उम्र से पैसों की शिक्षा दी जाए, तो वे बड़े होकर समझदारी से निर्णय लेने वाले, आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से मज़बूत इंसान बन सकते हैं।

लेकिन यही काम कई बार माता-पिता से ग़लती से बिगड़ जाता है।
Teachers’ Day special
Teachers’ Day special


Teachers’ Day special| financial knowledge 

एक असली कहानी – आर्यन का अनुभव

नोएडा के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट दंपत्ति, प्रीति और ऋषि गोयल (नाम बदला गया), अपने बेटे आर्यन को छोटी उम्र से ही पैसों की समझ देना चाहते थे।

उन्होंने सोचा कि अगर आर्यन को सात साल की उम्र से ही पॉकेट मनी दी जाए और पैसों पर बातचीत की जाए तो वह जल्दी सीख जाएगा। हर बार उसे बताया गया कि पैसों को कहाँ खर्च करना है, कहाँ नहीं।

लेकिन जब आर्यन 18 साल का हुआ, तो उल्टा असर हुआ। वह पैसे खर्च करने को लेकर हमेशा उलझन में रहता। हर छोटा-बड़ा निर्णय उसके लिए तनाव बन जाता। धीरे-धीरे उसने पैसों पर बातचीत ही बंद कर दी।

👉 प्रीति ने बाद में माना: “हमने शायद बहुत कंट्रोल किया। बच्चे को फैसले लेने की आज़ादी नहीं दी।”

आर्यन की यह कहानी बहुत सारे भारतीय घरों में दोहराई जाती है। हम सोचते हैं कि हम बच्चों को सही दिशा दे रहे हैं, लेकिन हमारे तरीकों से उनमें डर और उलझन पैदा हो जाती है।

बच्चों को पैसे सिखाने में माता-पिता की 5 आम गलतियाँ


❌ 1. बच्चों को फैसले लेने नहीं देना


कई माता-पिता सोचते हैं कि अगर वे हर बार बच्चे को गाइड करेंगे, तो बच्चा कभी गलती नहीं करेगा। लेकिन असली सीख तो गलती से ही आती है।

मान लीजिए आपका बच्चा पॉकेट मनी से 200 रुपये का खिलौना खरीदना चाहता है। आप कहते हैं, “ये फिजूलखर्ची है, मत लो।” उस पल शायद आप 200 रुपये बचा लें, लेकिन आपने उसके सीखने का मौका छीन लिया।

लंबे समय में बच्चा यह सोचने लगता है कि पैसे से जुड़े फैसले बहुत कठिन हैं और बेहतर है कि वह इन्हें टाले।

👉 हल:

  • छोटे फैसले बच्चे को खुद लेने दें।
  • अगर उसने ग़लत फैसला लिया तो प्यार से समझाएँ।
  • उसके फैसले के परिणामों पर चर्चा करें।
📍 उदाहरण:
अगर बच्चे ने पूरा पॉकेट मनी चॉकलेट पर खर्च कर दिया, तो महीने के अंत में जब उसे कुछ और चाहिए होगा, तो वह खुद समझेगा कि पैसे बचाने की ज़रूरत है।
बच्चों को पैसे सिखाने में माता-पिता की 5 आम गलतियाँ
Teacher special day 



❌ 2. पुरानी पीढ़ी की सोच थोपना


हमारी पिछली पीढ़ी में शेयर बाज़ार को जुआ और जोखिम भरा खेल माना जाता था। ज़मीन-जायदाद ही एकमात्र सुरक्षित निवेश समझा जाता था।

लेकिन आज का दौर अलग है। अगर बच्चों को आप सिर्फ़ वही पुरानी सोच देंगे तो वे आने वाले डिजिटल युग में पिछड़ जाएँगे।

👉 हल:

  • बच्चों को सभी विकल्पों के बारे में बताएँ।
  • उन्हें SIP, म्यूचुअल फंड्स, डिजिटल गोल्ड, क्रिप्टो (सिर्फ़ जानकारी के तौर पर) और UPI जैसे टूल्स से परिचित कराएँ।
  • अंतिम निर्णय बच्चों को खुद लेने दें।

📍 उदाहरण:
एक 15 साल की बच्ची को म्यूचुअल फंड्स और सेविंग अकाउंट दोनों समझाएँ। फिर उससे पूछें, “अगर तुम्हें 500 रुपये मिलें, तो तुम कहाँ रखोगी?” उसकी सोच का सम्मान करें।

❌ 3. आपकी बातें और काम मेल न खाना

बच्चे वही सीखते हैं जो वे आपको करते हुए देखते हैं। अगर आप कहते हैं, “फिजूल खर्च मत करो,” लेकिन खुद हर महीने सेल देखकर शॉपिंग बैग्स भर लाते हैं, तो बच्चा कन्फ्यूज़ हो जाएगा।

👉 हल:
  • घर का बजट बच्चों के सामने बनाएँ।
  • EMI और क्रेडिट कार्ड बिल्स के बारे में उन्हें समझाएँ।
  • हर महीने एक “फैमिली सेविंग डे” रख सकते हैं।
📍 उदाहरण:
अगर आपने किसी महँगे ब्रांडेड कपड़े की जगह एक सस्ता और टिकाऊ विकल्प चुना, तो बच्चे को समझाएँ: “पैसे बचाना ज़रूरी है क्योंकि यही पैसों से हम भविष्य में ट्रिप या पढ़ाई करेंगे।”


❌ 4. पैसों को लेकर लगातार झगड़ना

अगर घर में पति-पत्नी के बीच हर समय पैसों को लेकर बहस होती रहती है, तो बच्चा पैसों को हमेशा तनाव और डर से जोड़ने लगेगा।

👉 हल:
  • बड़े फैसले मिलकर करें।
  • छोटे मतभेद बच्चों के सामने न लाएँ।
  • बच्चों को यह दिखाएँ कि पैसों पर बातचीत सामान्य और सकारात्मक हो सकती है।
📍 उदाहरण:

अगर परिवार में नया गैजेट खरीदने का फैसला हो रहा है, तो मिलकर तय करें और बच्चों को भी चर्चा का हिस्सा बनाएँ। इससे वे सीखेंगे कि पैसों पर बहस नहीं बल्कि बातचीत होनी चाहिए।

अगर परिवार में नया गैजेट खरीदने का फैसला हो रहा है, तो मिलकर तय करें और बच्चों को भी चर्चा का हिस्सा बनाएँ। इससे वे सीखेंगे कि पैसों पर बहस नहीं बल्कि बातचीत होनी चाहिए


❌ 5. पैसों की बातें न करना

भारत में कई लोग मानते हैं कि बच्चों को पैसों की बातें करना गलत है। नतीजा यह होता है कि बच्चे बड़े होकर बजटिंग और निवेश की बेसिक जानकारी से भी वंचित रह जाते हैं।

👉 हल:

  • बच्चों से अनौपचारिक बातचीत शुरू करें।
  • UPI पेमेंट दिखाएँ और समझाएँ।
  • महँगाई का उदाहरण दें (जैसे दूध की कीमत पिछले 5 साल में कैसे बढ़ी)।
  • कॉम्पाउंडिंग समझाने के लिए बताइए कि “अगर 100 रुपये बैंक में 10 साल तक पड़े रहें तो ये कैसे बढ़ेंगे।”

📍 उदाहरण:
एक बार जब आप पेट्रोल पंप पर भुगतान करें, तो बच्चे को समझाएँ कि तेल की कीमतें क्यों बढ़ती हैं और इसका असर घर के बजट पर कैसे पड़ता है।

📍 उदाहरण: एक बार जब आप पेट्रोल पंप पर भुगतान करें, तो बच्चे को समझाएँ कि तेल की कीमतें क्यों बढ़ती हैं और इसका असर घर के बजट पर कैसे पड़ता है।

बच्चों में पैसों की समझ कैसे विकसित करें?


1. पॉकेट मनी को क्लासरूम बनाएँ

  • बच्चों को हर महीने एक तय रकम दें।
  • उनसे पूछें कि वह इसे कैसे खर्च करेंगे।
  • खर्च और बचत का हिसाब रखने की आदत डालें।
2. बचत जार (Saving Jar) का तरीका अपनाएँ

  • तीन जार बनाइए: खर्च, बचत और दान।
  • बच्चे को सिखाएँ कि हर पैसे को इन तीन हिस्सों में बाँटना है।

3. खेल और गतिविधियाँ

  • Monopoly, Business जैसे बोर्ड गेम खेलें।
  • ये गेम बच्चों को खर्च, निवेश और दिवालियापन तक की सीख देते हैं।

4. डिजिटल टूल्स और ऐप्स

  • बच्चों को FitMoney SuperSquad जैसे ऐप्स दिखाएँ (TechLearning)।
  • इससे वे गेम खेलते-खेलते पैसों की स्किल्स सीखेंगे।



5. NGO और ग्लोबल इनिशिएटिव्स

Aflatoun International जैसे NGO बच्चों को स्कूल स्तर पर वित्तीय शिक्षा दे रहे हैं।   माता-पिता इनसे प्रेरणा ले सकते हैं।

✅ नतीजा

  • अगर बच्चों को छोटी उम्र से पैसों की सही समझ दी जाए तो:
  • वे खर्च और बचत में संतुलन बनाएँगे।
  • निवेश के महत्व को समझेंगे।
  • आर्थिक फैसलों में आत्मनिर्भर होंगे।
  • और सबसे महत्वपूर्ण — पैसे से डरेंगे नहीं बल्कि इसे अपने जीवन का प्रबंधन करने का साधन मानेंगे


🎯 निष्कर्ष


शिक्षक दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हर माता-पिता भी एक शिक्षक है। और बच्चों को पैसों की शिक्षा देना उतना ही ज़रूरी है जितना उन्हें किताबें पढ़ाना।

अगर हम बच्चों को फैसले लेने की आज़ादी देंगे, उन्हें विकल्प दिखाएँगे, खुद अच्छा उदाहरण बनेंगे और घर में पैसों की बातचीत को सामान्य बनाएँगे — तो आने वाली पीढ़ी न सिर्फ़ पढ़ाई में बल्कि आर्थिक रूप से भी आत्मनिर्भर होगी।

बच्चों को पैसे की सही शिक्षा देने के FAQ

1. बच्चों को पैसे की शिक्षा कब शुरू करनी चाहिए?

बच्चों में पैसों की समझ 3-5 साल की उम्र से धीरे-धीरे विकसित की जा सकती है। शुरुआत छोटे-छोटे कदमों से करें — जैसे पॉकेट मनी देना, जार सिस्टम में बचत सिखाना, और खर्च पर बातचीत करना

2. पॉकेट मनी देना सही है या नहीं?

हाँ, पॉकेट मनी देना बच्चे को फैसले लेने और पैसों का मूल्य समझने में मदद करता है। ध्यान रहे कि इसे नियंत्रित तरीके से और उनकी उम्र के अनुसार दें।

3. बच्चे को पैसे के फैसले लेने दें या हर बार रोकें?

बच्चों को छोटे फैसले लेने दें। अगर वे गलती करते हैं, तो प्यार से समझाएँ। इससे वे सीखते हैं कि खर्च और बचत का संतुलन कैसे बनाना है।

4. क्या डिजिटल पैसे की शिक्षा ज़रूरी है?

हाँ, आज के समय में डिजिटल भुगतान और ऑनलाइन बैंकिंग बच्चों को समझना बहुत जरूरी है। उदाहरण के लिए UPI, डिजिटल गोल्ड, और सेविंग ऐप्स

5. माता-पिता को पैसों के बारे में बच्चों से कैसे बात करनी चाहिए?

अनौपचारिक और सरल उदाहरणों से बातें करें। जैसे:

  • “तुमने देखा दूध की कीमत बढ़ गई, यही महंगाई है।”
  • “अगर हम 50 रुपये बचाएँ, तो साल के अंत में कितना हो जाएगा।”

6. बच्चों में निवेश की आदत कैसे डालें?

बच्चों को निवेश के विकल्प दिखाएँ जैसे SIP या म्यूचुअल फंड्स

जार सिस्टम और छोटे-छोटे निवेश खेल के माध्यम से समझाएँ।

खुद उदाहरण बनकर दिखाएँ, जैसे अपनी बचत और निवेश दिखाना।

7. क्या घर में पैसे पर झगड़ा बच्चों पर असर डालता है?

हाँ, लगातार पैसे पर झगड़ा बच्चों में तनाव और डर पैदा करता है। बड़े फैसलों में मिलकर सहमति बनाएं, लेकिन छोटी बातों पर झगड़ा बच्चों के सामने न करें।

8. बच्चों को पैसे की शिक्षा देने के लिए कौन से खेल मददगार हैं?

  • Monopoly, लूडो जैसी बोर्ड गेम्स
  • FitMoney $uperSquad जैसे डिजिटल गेम्स
  • वास्तविक खर्च और बचत की गतिविधियाँ

9. क्या बच्चों को निवेश के विकल्प थोपने चाहिए?

नहीं, सिर्फ जानकारी दें और फैसला उन्हें खुद करने दें। इससे वे आत्मनिर्भर बनेंगे और सीखेंगे कि कौन सा विकल्प उनके लिए सही है।

10. पैसे की शिक्षा देने से बच्चे को क्या लाभ होगा?

  • फैसले लेने में आत्मविश्वास
  • सही निवेश और बचत की आदत
  • आर्थिक रूप से मजबूत और जिम्मेदार बनना

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