10 Money Myths| 10 पैसे के मिथक और बनें वित्तीय आज़ाद|2025

 2025 में तोड़ें ये 10 पैसे के मिथक और बनें वित्तीय आज़ाद

2025 में तोड़ें ये 10 पैसे के मिथक और बनें वित्तीय आज़ाद

पैसे के बारे में सलाह हर कोई देता है — दोस्त, रिश्तेदार, इंटरनेट… लेकिन सच्चाई यह है कि उनमें से कई बातें आज के ज़माने में काम की नहीं रहीं।
कई लोग पुराने जमाने के वित्तीय मिथकों पर भरोसा करते हैं और अनजाने में अपने भविष्य की वित्तीय सेहत को नुकसान पहुंचा देते हैं।

 पड़ोसी अंकल, रिश्तेदार, यूट्यूब वीडियो, व्हाट्सएप मैसेज… लेकिन सच कहें तो इन सलाहों में से कई पुराने जमाने के मिथक हैं जो आज के समय में आपके लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं।

2025 में आर्थिक हालात, नौकरी का माहौल, महंगाई, टैक्स नियम और निवेश के ऑप्शन 10 साल पहले जैसे नहीं हैं। अगर आप अब भी पुराने नियमों और सुनी-सुनाई बातों पर भरोसा करते हैं, तो यह आपके वित्तीय भविष्य को कमजोर कर सकता है।

आज हम 10 ऐसे मनी मिथ्स का सच सामने लाएंगे जो आपके पैसों की ग्रोथ रोक सकते हैं — और बताएंगे कि कैसे इनसे बाहर निकलकर आप फाइनेंशियल फ्रीडम की तरफ बढ़ सकते हैं।


मिथक 1: युवाओं को हेल्थ इंश्योरेंस की ज़रूरत नहीं होती


पुरानी सोच: "मैं अभी जवान हूँ, मुझे हेल्थ इंश्योरेंस की क्या ज़रूरत?"

हकीकत:
आज की लाइफ़स्टाइल में बीमारियाँ और हेल्थ रिस्क उम्र देखकर नहीं आते।
मिथक 1: युवाओं को हेल्थ इंश्योरेंस की ज़रूरत नहीं होती

.युवा हेल्थ इंश्योरेंस 



  • 20s और 30s के युवाओं में डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर जैसी लाइफ़स्टाइल डिजीज़ तेजी से बढ़ रही हैं
  • हादसे, वायरल इंफेक्शन, कोविड जैसी बीमारियां कभी भी हो सकती हैं
  • युवा उम्र में प्रीमियम सस्ता होता है और कवरेज ज्यादा मिलता है
  • जल्दी पॉलिसी लेने से प्री-एग्ज़िस्टिंग बीमारियों का वेटिंग पीरियड जल्दी खत्म हो जाता है


रियल स्टोरी:
अमित (28 वर्ष, दिल्ली) को लगा कि मेडिकल इंश्योरेंस समय की बर्बादी है। बाइक एक्सीडेंट के बाद ₹1.7 लाख का बिल आया और EMI में डूबना पड़ा। अगर पॉलिसी होती, तो ₹500/महीना का प्रीमियम उसे बचा सकता था।

एक्शन पॉइंट:
₹5–10 लाख का बेसिक हेल्थ कवर तुरंत लें। यह आपकी फाइनेंशियल हेल्थ का पहला सुरक्षा कवच है।



मिथक 2: रिटायरमेंट के बाद इक्विटी से बचना चाहिए


पुरानी सोच: "रिटायरमेंट का मतलब है सिर्फ़ FD और सुरक्षित स्कीम में पैसा लगाना।"
मिथक 2: रिटायरमेंट के बाद इक्विटी से बचना चाहिए



हकीकत:

  • महंगाई हर साल आपके पैसे की वैल्यू घटाती है
  • लोग पहले से ज्यादा जी रहे हैं, यानी रिटायरमेंट 20-30 साल तक चल सकता है
  • सिर्फ FD में पैसा रखकर रिटर्न महंगाई को मात नहीं दे पाएंगे
  • थोड़ी इक्विटी (Mutual Funds / Index Funds) पोर्टफोलियो को ग्रोथ देती है

  बजट स्ट्रैटेजी:

1. शॉर्ट टर्म (2-3 साल): खर्च के लिए कैश और FD
2. मिड टर्म (3-5 साल): डेट म्यूचुअल फंड्स
3. लॉन्ग टर्म (5+ साल): इक्विटी म्यूचुअल फंड्स / स्टॉक्स

मिथक 3: टैक्स नहीं देना तो ITR की ज़रूरत नहीं


पुरानी सोच: "मेरी आय टैक्स सीमा से कम है, ITR क्यों भरूँ?"
टैक्स नहीं देना तो ITR की ज़रूरत
Itr tax return 


हकीकत:
  • ₹2 लाख से अधिक की विदेशी यात्रा या ₹1 लाख से ज्यादा बिजली खर्च पर ITR अनिवार्य है
  • ITR लोन और वीज़ा अप्लिकेशन में आपकी फाइनेंशियल प्रोफाइल दिखाता है
  • TDS रिफंड लेने का यही तरीका है
  • बिज़नेस लॉस को कैरी-फॉरवर्ड करने के लिए ITR जरूरी है
उदाहरण:
रीता (35 वर्ष) की आय ₹4.5 लाख थी, टैक्स जीरो। फिर भी ITR भरने पर उसे ₹12,000 का रिफंड मिला।


मिथक 4: होम लोन टैक्स फ़ायदे का मतलब प्रीपेमेट न करना


पुरानी सोच: "EMI चलने दो, टैक्स में बचत हो रही है।"

हकीकत:

  • नए टैक्स सिस्टम में सेक्शन 24B और 80C के फायदे सीमित हैं
  • लोन जल्दी चुकाने से ब्याज बचता है
  • EMI खत्म होते ही कैश फ्लो बढ़ जाता है
  • कर्ज़मुक्त होने से तनाव कम होता है
प्रो टिप:
अगर लोन पर ब्याज दर आपके निवेश के रिटर्न से ज्यादा है, तो प्रीपेमेंट फायदेमंद है।

मिथक 5: एक इनकम सोर्स काफी है


पुरानी सोच: "जॉब है, तो सब सुरक्षित है।"

हकीकत:

कोविड, AI और बड़े पैमाने पर छंटनी ने दिखा दिया कि एक ही इनकम सोर्स पर निर्भर रहना खतरनाक है।
  • फ्रीलांसिंग
  • किराये की आय
  • डिविडेंड देने वाले फंड
  • यूट्यूब/ब्लॉगिंग से साइड इनकम


रियल स्टोरी:
IT सेक्टर में काम करने वाले करण की नौकरी AI ऑटोमेशन के कारण चली गई। उसकी रेंटल इनकम ने उसे बेरोजगारी के दिनों में संभाला।

मिथक 6: सिर्फ बुज़ुर्गों होने पर वसीयत चाहिए


पुरानी सोच: "वसीयत तो बुज़ुर्ग  होने पर बनाते हैं।"

हकीकत:

  • संपत्ति, बैंक अकाउंट, निवेश, डिजिटल एसेट — सबके लिए वसीयत जरूरी है
  • अचानक हादसे में आपके परिवार को कानूनी झंझट से बचाती है
  • कभी भी अपडेट की जा सकती है

मिथक 7: बच्चों की शादी के लिए बचत जरूरी है


पुरानी सोच: "बच्चों की शादी में लाखों-करोड़ों खर्च करने पड़ते हैं।"

हकीकत:
  • बच्चों की पढ़ाई और करियर पर फोकस करें
  • शादी का खर्च वे खुद मैनेज कर सकते हैं
  • अपनी रिटायरमेंट सेविंग को खतरे में न डालें


मिथक 8: म्यूचुअल फंड जोखिम-मुक्त नही हैं


पुरानी सोच: "म्यूचुअल फंड सुरक्षित हैं, बस SIP करो।"

हकीकत:

  • इक्विटी फंड में मार्केट रिस्क
  • डेट फंड में ब्याज दर और क्रेडिट रिस्क
  • सही रिसर्च, एसेट एलोकेशन और लंबे समय का नजरिया जरूरी है
SEBI निवेश गाइडलाइन

मिथक 9: फाइनेंशियल प्लानर है तो पोर्टफोलियो चेक की ज़रूरत नहीं


हकीकत:

  • आपका पैसा, आपकी जिम्मेदारी
  • साल में कम से कम 2 बार पोर्टफोलियो रिव्यू करें
  • लक्ष्यों, मार्केट और पॉलिसी बदलाव के हिसाब से बदलाव करें

मिथक 10: जीवनसाथी से वित्तीय जानकारी शेयर करने की ज़रूरत नहीं


  • आपात स्थिति में जीवनसाथी को अकाउंट डिटेल्स, लॉग-इन और पासवर्ड पता होना जरूरी है
  • इससे पैसों तक तुरंत पहुंच मिलती है और परेशानी नहीं होती
जीवनसाथी से वित्तीय जानकारी शेयर करने की ज़रूरत नहीं


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

क्या युवाओं को हेल्थ इंश्योरेंस की जरूरत होती है?

हाँ, 20s और 30s में भी दुर्घटनाएँ, वायरल इंफेक्शन और लाइफस्टाइल डिजीज़ हो सकती हैं। जल्दी पॉलिसी लेने से प्रीमियम कम और कवरेज ज्यादा मिलता है।

रिटायरमेंट के बाद इक्विटी में निवेश सुरक्षित है?

हाँ, महंगाई से बचाव और पोर्टफोलियो ग्रोथ के लिए 15–25% निवेश इक्विटी में रखना फायदेमंद है, लेकिन जोखिम संतुलित करना जरूरी है।

अगर टैक्स नहीं बन रहा तो ITR भरना जरूरी है?

हाँ, कुछ खर्च जैसे ₹2 लाख से ज्यादा विदेशी यात्रा या ₹1 लाख बिजली बिल पर ITR जरूरी है। TDS रिफंड और लोन/वीज़ा प्रोसेस के लिए भी जरूरी है।

होम लोन टैक्स छूट के कारण प्रीपेमेंट न करना सही है?

जरूरी नहीं। नए टैक्स सिस्टम में छूट सीमित है। ब्याज बचाने और कर्ज़मुक्त होने के लिए प्रीपेमेंट करना लाभदायक हो सकता है।

क्या एक इनकम सोर्स काफी है?

नहीं, AI और छंटनी के दौर में कई इनकम सोर्स जरूरी हैं जैसे फ्रीलांसिंग, किराया, डिविडेंड आदि।

क्या सिर्फ बुज़ुर्गों को वसीयत बनानी चाहिए?

नहीं, संपत्ति या डिजिटल एसेट रखने वाले हर व्यक्ति को वसीयत बनानी चाहिए, उम्र चाहे कोई भी हो।

क्या बच्चों की शादी के लिए बचत जरूरी है?

जरूरी नहीं। बच्चों की शिक्षा और करियर पर निवेश करें, शादी का खर्च वे खुद मैनेज कर सकते हैं।

क्या म्यूचुअल फंड जोखिम-मुक्त हैं?

नहीं, इनमें मार्केट रिस्क, ब्याज दर रिस्क और क्रेडिट रिस्क होता है।

क्या फाइनेंशियल प्लानर होने पर पोर्टफोलियो चेक की जरूरत है?

हाँ, साल में कम से कम 2 बार पोर्टफोलियो रिव्यू करना जरूरी है ताकि यह आपके लक्ष्यों और मार्केट हालात के अनुसार बना रहे।

क्या जीवनसाथी से वित्तीय जानकारी शेयर करना जरूरी है?

हाँ, आपात स्थिति में जीवनसाथी को अकाउंट डिटेल्स और पासवर्ड पता होना जरूरी है ताकि पैसों तक तुरंत पहुंच हो।




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