रक्षाबंधन 2025: तारीख, शुभ मुहूर्त, इतिहास, पूजा विधि और आधुनिक अंदाज़
भूमिका: रिश्तों को जोड़ने वाला धागा
भारत में हर त्योहार की अपनी एक खास पहचान है, लेकिन रक्षाबंधन का महत्व सबसे अलग
है। यह भाई और बहन के बीच के प्यार, भरोसे और सुरक्षा के वादे का पर्व है।
एक साधारण सा धागा इस दिन रक्षा सूत्र बन जाता है, जिसमें प्रेम, आशीर्वाद और
जीवनभर का साथ छिपा होता है।
2025 में रक्षाबंधन शनिवार, 9 अगस्त को मनाया जाएगा। इस बार यह त्योहार और
भी खास है क्योंकि सौभाग्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे शुभ योग एक
साथ बन रहे हैं—यह संयोग करीब 95 साल बाद आ रहा है। ज्योतिष के अनुसार,
ऐसे समय पर राखी बांधने से रिश्तों में सुख-समृद्धि और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
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रक्षाबंधन 2025: तारीख और शुभ मुहूर्त |
रक्षाबंधन 2025: तारीख और शुभ मुहूर्त
🕰 राखी बांधने का शुभ मुहूर्त: सुबह 5:47 बजे से दोपहर
1:24 बजे तक (कुल अवधि: 7 घंटे 37 मिनट)
🌙 पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 8 अगस्त, दोपहर 3:26 बजे
🌙 पूर्णिमा तिथि समाप्त: 9 अगस्त, शाम 5:02 बजे
इस वर्ष भद्रा काल सुबह जल्दी समाप्त हो जाएगा, जिससे पूरा शुभ समय राखी बांधने
के लिए उपलब्ध रहेगा।
विशेष योग:
सौभाग्य योग – सौभाग्य और समृद्धि लाने वाला।
सर्वार्थ सिद्धि योग – सभी कार्यों में सफलता देने वाला।
श्रवण नक्षत्र – धार्मिक अनुष्ठानों के लिए अत्यंत शुभ।
रक्षाबंधन का इतिहास, सत्य घटनाएँ और रक्षाबंधन 2025
प्रस्तावना
रक्षाबंधन या राखी, भारत का एक बेहद महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भाई-बहन के प्रेम,
सुरक्षा और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व न केवल पारिवारिक संबंधों को
मजबूत बनाता है, बल्कि समाज और देश की एकता का भी सशक्त संदेश देता है। रक्षाबंधन
का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है, जिसमें कई ऐसी घटनाएँ जुड़ी हैं जो इस
त्योहार की महत्ता को और भी बढ़ाती हैं।
इस लेख में हम रक्षाबंधन के इतिहास की सत्य घटनाओं, इसके सामाजिक-सांस्कृतिक
महत्व, और 2025 में मनाए जाने वाले इस पर्व के ताज़ा अपडेट को विस्तार से
जानेंगे।
1. रक्षाबंधन का प्राचीन अर्थ
रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ है – “रक्षा का बंधन”। यह केवल भाई-बहन का त्यौहार
नहीं था, बल्कि प्राचीन काल में इसे सुरक्षा के वचन के रूप में भी मनाया जाता था।
एक समय था जब यह पर्व धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक तीनों ही दृष्टियों से
महत्वपूर्ण था।
2. वैदिक काल में उत्पत्ति
कुछ पुराणों के अनुसार, रक्षाबंधन की जड़ें वामन अवतार से जुड़ी हैं। जब देवताओं
और असुरों के बीच संघर्ष हुआ, तो भगवान विष्णु ने वामन रूप में बलि राजा से तीन
पग भूमि मांगी। उस समय माता लक्ष्मी ने बलि राजा को एक धागा बांधकर उसे अपना भाई
बना लिया और विष्णु को मुक्त करवा लिया। इस घटना ने “रक्षा सूत्र” की परंपरा को
जन्म दिया।
रक्षाबंधन का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
1. राखी और प्राचीन भारत की कहानियाँ
रक्षाबंधन की शुरुआत का संबंध प्राचीन भारत की कई कहानियों से माना जाता है।
इनमें से कुछ कहानियाँ ऐतिहासिक तथ्य हैं, तो कुछ पौराणिक रूप में विख्यात हैं।
महाभारत का संदर्भ:
महाभारत के युद्ध के दौरान द्रौपदी ने अपने रखवाले श्री कृष्ण की कलाई पर अपने
वस्त्र का एक टुकड़ा बांधा था। उस राखी के कारण कृष्ण ने अपना जीवन दांव पर लगाकर
द्रौपदी की रक्षा की। यह घटना राखी के महत्व को दर्शाती है कि यह रक्षा का बंधन
है।
पंडवों और कर्ण की दोस्ती:
महाभारत काल की एक और कहानी में, कर्ण ने कुम्भकरण की बहन के रूप में रक्षा बंधन
बांधी थी, जिसने उसे एक भाई के रूप में माना था।
2. ऐतिहासिक सत्य घटनाएँ जो रक्षाबंधन से जुड़ी हैं
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ऐतिहासिक सत्य घटनाएँ जो रक्षाबंधन से जुड़ी हैं |
सिकंदर महान और राजा पोरस (326 ईसा पूर्व)
जब सिकंदर भारत आया, तब उसकी पत्नी रॉक्साना ने भारतीय राजा पोरस को राखी भेजी और
उसे भाई माना। युद्ध के दौरान जब सिकंदर घायल हुआ, पोरस ने राखी का सम्मान करते
हुए उसे मारने से मना कर दिया। यह घटना दर्शाती है कि राखी का बंधन केवल
व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राजनीतिक और मानवीय संबंधों को भी जोड़ता है।
रानी कर्णावती और मुग़ल सम्राट हुमायूं (1535 ई.)
चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने मुग़ल सम्राट हुमायूं को राखी भेजकर अपनी रक्षा की
अपील की थी। इस राखी ने हुमायूं को रानी की रक्षा का संकल्प दिलाया। हालांकि
सहायता समय पर नहीं पहुंच सकी, यह घटना राखी के राजनीतिक महत्व को दर्शाती है।
छत्रपति शिवाजी महाराज और राखी का महत्व
छत्रपति शिवाजी महाराज ने महिलाओं की सुरक्षा को अपने जीवन का सर्वोच्च कर्तव्य
माना। कई बार पड़ोसी राज्यों की महिलाएं उन्हें राखी बांधकर अपनी रक्षा का
आश्वासन मांगीं, जिसे शिवाजी ने सदा सम्मान दिया।
रवींद्रनाथ टैगोर और बंगाल विभाजन (1905)
ब्रिटिश सरकार द्वारा बंगाल के विभाजन के विरोध में रवींद्रनाथ टैगोर ने
रक्षाबंधन को हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक बनाया। उन्होंने समुदायों को राखी
बांधने और भाईचारे को बढ़ावा देने का आह्वान किया।
स्वतंत्रता संग्राम में राखी का रोल
1940 के दशक में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महिलाएं जेल में बंद
सेनानियों को राखी भेजकर उनका मनोबल बढ़ाती थीं। यह राखी देशभक्ति और संघर्ष की
प्रतीक थी।
रक्षाबंधन 2025: ताज़ा खबरें और सरकारी पहलें
इस दौरान कोई भी भद्रा काल नहीं होने से पूजा विधि सरल और सफल मानी जाती है।
सरकारी पहलों से महिलाओं को मिला बड़ा तोहफा
मुफ्त बस यात्रा: उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश,
उत्तराखंड और त्रिसिटी क्षेत्रों में 8 से 10 अगस्त तक महिलाओं के लिए सभी
बस मार्गों में मुफ्त यात्रा।
मध्य प्रदेश की ‘लाडली बहना योजना’ के तहत ₹1,750 की आर्थिक सहायता।
पंजाब, कर्नाटक, दिल्ली में साल भर मुफ्त बस यात्रा की सुविधा।
यह पहल महिलाओं की सामाजिक स्वतंत्रता और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए
महत्वपूर्ण कदम है।
बीएचयू की महिला प्रशिक्षुओं की पहल
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की महिला प्रशिक्षुओं ने सीमांत सैनिकों के लिए हाथ से
बनी राखियाँ बनाईं।
इस पहल ने सैनिकों तक त्योहार की भावना पहुँचाई और महिलाओं को कौशल और
आत्मनिर्भरता सिखाई।
पूजा विधि (स्टेप-बाय-स्टेप)
सामग्री:
- राखी
- रोली, चावल
- दीपक, अगरबत्ती
- मिठाई
- नारियल और फूल
- रक्षाबंधन की पूजा विधि
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रक्षाबंधन के दिन पूजा करने का सही तरीका निम्नलिखित है:
1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ़ कपड़े पहनें।
2. पूजा थाल में राखी, रोली, चावल, दीपक, मिठाई और फूल रखें।
3. भगवान गणेश और भगवान विष्णु की पूजा करें।
4. भाई को तिलक लगाएँ, चावल चिपकाएँ और राखी बाँधें।
5. मिठाई खिलाएँ और भाई से उपहार व आशीर्वाद लें।
विधि:
1. भगवान विष्णु और गणेश की पूजा करें।
2. भाई को आसन पर बिठाएं।
3. माथे पर तिलक लगाएं, चावल रखें।
4. राखी बांधते समय मंत्र पढ़ें –
"येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।"
5. आरती करें, मिठाई खिलाएं।
6. भाई उपहार दें और आशीर्वाद लें
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Raksha Bandhan 2025 in hindi| |
भारत में रक्षाबंधन की प्रांतीय परंपराएं
राजस्थान: यहां राखी के साथ ‘लूंमी’ या ‘लूंवा’ नामक सूती धागा भी बांधा
जाता है, जो बुरी नजर से बचाने के लिए होता है।
पंजाब: किसान इस दिन ‘राखड़ी’ बांधकर भगवान से फसल की रक्षा की प्रार्थना
करते हैं।
बंगाल: इसे ‘झूलन पूर्णिमा’ के रूप में भी मनाया जाता है, जिसमें
राधा-कृष्ण की झांकी सजाई जाती है।
महाराष्ट्र: यहां इसे ‘नारळी पूर्णिमा’ कहते हैं और मछुआरे समुद्र में
नारियल अर्पित करते हैं।
दक्षिण भारत: इसे ‘अवनि अवित्तम’ के रूप में मनाया जाता है, खासकर
ब्राह्मण समुदाय में।
आधुनिक दौर का रक्षाबंधन
- पर्सनलाइज्ड राखियां (नाम/फोटो वाली)
- इको-फ्रेंडली राखी (बीज वाली, पौधा उगाने योग्य)
- ऑनलाइन राखी और गिफ्ट भेजना
- वर्चुअल सेलिब्रेशन वीडियो कॉल से
गिफ्ट आइडियाज 2025
1. हैंडमेड राखी और मिठाई
2. पर्सनलाइज्ड मग, फोटो फ्रेम
3. वेलनेस किट
4. ट्रैवल वाउचर
5. बुक्स और कोर्सेज
रक्षाबंधन से जुड़े रोचक तथ्य
यह पर्व नेपाल और मॉरीशस में भी धूमधाम से मनाया जाता है।
विदेशों में रहने वाले भारतीय इसे सोशल मीडिया पर #RakshaBandhan से
ट्रेंड करते हैं।
कुछ जगहों पर बहनें अपने छोटे भाइयों को ‘कच्ची राखी’ बांधती हैं जो सिर्फ तिलक
और धागे से होती है।
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